नमन करती है लेखनी, आज शहीदों के नाम। नमन करती है लेखनी, आज शहीदों के नाम।
सवि अमन चाहती है हमेशा यहाँ ढूँढती है जगत में वतन का नशा। सवि अमन चाहती है हमेशा यहाँ ढूँढती है जगत में वतन का नशा।
हर बला उसकी अपने सर लेकर सरसों मिर्ची से नज़र उतारे। हर बला उसकी अपने सर लेकर सरसों मिर्ची से नज़र उतारे।
अब्द अमानत जहाँ हो क़ज़ा ही रहे सवि जहाँ हो क्षितिज अजल तक हम चले। अब्द अमानत जहाँ हो क़ज़ा ही रहे सवि जहाँ हो क्षितिज अजल तक हम चले।
पढ़ती बढ़ती शिखर छूती, हर इम्तिहान में सफल होती बेटियाँ। पढ़ती बढ़ती शिखर छूती, हर इम्तिहान में सफल होती बेटियाँ।
फिर क्यों ? जय किसान का नारा बदनाम किया। फिर क्यों ? जय किसान का नारा बदनाम किया।